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महाशिवरात्रि पर्व 2025

► महोत्सव की सम्पूर्ण झलकियाँ 

भव्य चुनरी पद यात्रा

दिनांक 5 अक्टूबर 2022 बुधवार के दिन विजयदशमी के पावन पर्व पर धूमेश्वर धाम पर विशाल चुनरी यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा सुबह 6 बजे धूमेश्वर महादेव से परम पूज्य गुरुदेव श्री अनिरुद्ध वन जी महाराज के सानिध्य में प्रारंभ हुई और यह यात्रा धूमेश्वर मंदिर से रायचोरा होकर, फिर बड़ी झाऊ और छोटी झाऊ से बढ़ती हुई ग्राम खड़ीचा, सांखनी, मछरिया, बंसोडी, साँसन, भितरवार, आदि अनेक गाँवों से होते हुए 45 किलोमीटर की दूरी तय करने के पश्चात माता लखेश्वरी मंदिर पहुँची।
 
परम पूज्य गुरुदेव जी सभी भक्तों के साथ इस यात्रा में पैदल रहे। यह यात्रा बहुत विशाल और भव्य रही। तथा माता को अर्पित की जाने वाली चुनरी की लंबाई लगभग 1.5 किलोमीटर के आसपास थी। जिसे अनेकों भक्त अपने हाथों में उठाये हुए यात्रा में माता लखेश्वरी और भगवान धूमेश्वर महादेव के जयकारे लगते हुए जा रहे थे। 
 
वहां पहुंचकर परम पूज्य गुरुदेव अनिरुद्ध वन जी के कर कमलों द्वारा माता लखेश्वरी को चुनरी चढ़ाई गयी। इस उपलक्ष्य में वहां लखेश्वरी मंदिर पर दंदरौआ धाम के महंत एवं महामंडलेश्वर परम पूज्य श्री श्री 1008 श्री रामदास जी महाराज भी पधारे।

सवा पांच लाख पार्थिव रूद्र निर्माण

क्षेत्र में खुशहाली की कामना को लेकर प्राचीन सिद्ध पीठ धूमेश्वर धाम पर 22 अगस्त 2022 को सवा पांच लाख पार्थिव रुद्र (शिवलिंग) निर्माण का आयोजन हुआ। साथ ही 11 हजार शिव चालीसा और 11 हजार हनुमान चालीसा का भी सामूहिक पाठ किया गया। सवा पांच लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर भक्तगणों ने एक साथ शिवाभिषेक किया।

वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ धूमेश्वर धाम के महंत एवं महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनिरुद्ध वन जी महाराज द्वारा कराये गए शिवाभिषेक में भोले बाबा के भक्त भक्ति भाव में डूब गए। पूरे 8 घंटे तक चले भक्तिमय कार्यक्रम में, चारों ओर से ॐ नमः शिवाय के जाप तथा हर हर महादेव के जय जयकार से धूमेश्वर धाम पूरी तरह शिवमय हो गया। 

इस अवसर पर धूमेश्वर मंदिर पर आसपास एवं दूरदराज के गावों से अनेकों भक्त एक दिन पहले से ही एकत्रित होने लगे थे और 22 अगस्त को महाराज जी के निर्देशन में हजारों शिव भक्तों ने सुबह 8 बजे से पार्थिव शिवलिंग बनाना शुरू किया। सुबह से शुरू हुए इस धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं ने शाम 5 बजे तक विधि विधान से सवा पांच लाख पार्थिव रुद्र का निर्माण किया।

धूमेश्वर से गोवर्धन धाम पदयात्रा

आनन्दमय ध्वजा एवं चुनरी यात्रा

श्री धूमेश्वर महादेव की कृपा से पूज्य गुरुदेव अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा परम पूज्य स्वामी श्री श्री 1008 श्री अनिरूद्ध वन जी महाराज के पावन सानिध्य में दिनांक 15/10/2024 को जन कल्यणार्थ हेतु आनंदमयी यात्रा श्री धूमेश्वर धाम से माँ रतनगढ़ मंदिर तक भव्य पैदल चुनरी यात्रा तथा माँ रतनगढ़ से श्री दंदरौआ सरकार हनुमान मंदिर तक आनंदमय ध्वजा यात्रा पूज्य महाराज श्री ने हजारों भक्तजनो के साथ संपन्‍न की। 
यात्रा का मार्ग इस प्रकार रहा –

दिनांक 15/10/2024
सुबह 7 बजे श्री धूमेश्वर धाम — पिछोर धूमेश्वर धाम -> पवाया -> विजकपुर -> सिमरिया -> भैसनारी -> बेरखेडा -> डबरा -> पिछोर -> रात्रि विश्राम

दिनांक 16/10/2024
सुबह 7 बजे पिछोर से रतनगढ़ माता मंदिर —
पिछोर -> गिजोर्रा -> रतनगढ़ माता दर्शन चुनरी मनोरथ पूर्ण एवं रात्रि विश्राम रतनगढ़ माता मंदिर

दिनांक 17 /10/2024
सुबह 7 बजे रतनगढ़ माता मंदिर से दंदरौआ सरकार दर्शन एवं ध्वजा यात्रा संपन्न

Bhavya Paidal Chunaree Yaatra Ratangarh Mata Mandir and Aanandamay Dhvaja Yaatra Dandraua Dham Mandir

सर्व समाज सुधार महापंचायत

धूमेश्वर धाम के महंत श्री श्री 1008 श्री अनिरुद्ध वन जी महाराज के अथक प्रयासों और महान संत श्री श्री 1008 श्री हरिगिरि महाराज जी के सहयोग से जन कल्याण और समाज उत्थान की भावना से 6 नवंबर 2024 को धूमेश्वर धाम मंदिर पर अनेक सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने (दहेज, शराब नशा, मृत्युभोज, पटा, व डीजे बंदी) के उद्देश्य से विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया।

जिसमे आसपास के अनेक शहरों और सैकड़ों गाँवों से लोग महाराज जी के आवहान पर दहेज, शराब नशा, मृत्युभोज, और पटा जैसी सामाजिक कुरूतियों को समाप्त करने के लिए महापंचायत में सम्मिलित हुए।

जिसमे धूमेश्वर धाम के महंत श्री अनिरुद्ध वन जी महाराज तथा अनेक महान संतो की उपस्थिति मंच पर आसीन हुई, हजारों लोगों के बीच महापंचायत का सफल आयोजन हुआ।

जिसमें संत शिरोमणि श्री हरिगिरि महाराज जी ने शराब, दहेज, मृत्युभोज बंदी को लेकर संकल्प दिलाया। और जो नई सामाजिक कुरीति श्राद्ध (पटा) भोज समाज में फैल रही हैं, उसके बंद को लेकर सर्व समाज कल्याण के लिए “केवल 1 मन आटा” में भोज करने का निर्णय किया गया। और सभी लोगों ने हाथ उठाकर इसकी सहमति दी। जिस प्रकार मृत्यु भोज (तेरहवीं) में “पांच मन आटा” का निर्णय लिया गया था, ठीक उसी प्रकार पटा भोज को भी अब एक मन आटा में करना होगा।

भजन संध्या

भजन संध्या